Followers

Wednesday, May 07, 2014

तुझे मिली जालियां

तुझे मिली जालियां
मुझे मिली गालियाँ
गर यही मुहब्बत का अंजाम होना था
तो ये इश्क़
न होना ही बेहतर था

- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
24th Sep. , 11, '291'

No comments:

Post a Comment