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Sunday, May 11, 2014

ये याद भी

ये याद भी
अजीब शै है
आती है तो टूट के आती है
नहीं आती
तो मीलों तन्हाई होती है

- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
30.01.13, '353'

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