गर मैं दरिया हूँ
तो तुम आब हो
गर मैं चराग हूँ
तो तुम बाती हो
गर मैं समंदर हूँ
तो तुम दरिया हो
गर तुम आंधी हो
तो मैं शजर का
टूटा हुआ पत्ता हूँ
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
20.09.13 , '311'
तो तुम आब हो
गर मैं चराग हूँ
तो तुम बाती हो
गर मैं समंदर हूँ
तो तुम दरिया हो
गर तुम आंधी हो
तो मैं शजर का
टूटा हुआ पत्ता हूँ
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
20.09.13 , '311'
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