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Thursday, May 08, 2014

गर मैं दरिया हूँ

गर मैं दरिया हूँ
तो तुम आब हो

गर मैं चराग हूँ
तो तुम बाती हो 

गर मैं समंदर हूँ
तो तुम दरिया हो

गर तुम आंधी हो
तो मैं शजर का
टूटा हुआ पत्ता हूँ

- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी'
20.09.13 , '311'

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