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Wednesday, May 07, 2014

ये हंसी में किसने ग़म घोल दिए



ये हंसी में किसने ग़म घोल दिए
ये ख़ुशी में किसने ग़म तौल दिए

मैं चला तो था नेक राह पर
ये बरबादियों के रास्ते किसने खोल दिए

या अल्लाह ! मेरे महबूब को खुश रख
वो अलग बात है उसने वफ़ा के ऐसे मोल दिए

- मुहम्मद शाहिद अजनबी
22nd jan. 12, '293'

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