जुल्फें तेरी उलझी-उलझी रहें
आँखों की गहराई कम न हो
होठों की लालिमा हमेशा कायम रहे
हाथों में मेंहदी रची रहे
दुनिया में कुछ भी हो मगर
क़िस्मत की तू हमेशा धनी रहे
ग़म तुम से दूर-दूर रहें
खुशियों से तेरा आँचल भरा रहे
जिसे तुम दिल से चाहो
उसका प्यार बढ़ता ही रहे
दिल में तुम्हारे उसका दिल हो
जो हमेशा बनके धड़कन धडकता रहे
मन में तुम्हारे अरमां हो कि
"अजनबी" के पास तू हमेशा रहे।
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
1st July, 1999, '42'
बहुत अच्छी दुआ की है आपने ....
ReplyDelete"मन में तुम्हारे अरमां हो कि
ReplyDelete"अजनबी" के पास तू हमेशा रहे।"
अच्छा जी