सागर से गहरा
अम्बर से ऊँचा
आंधी से तेज़
निशा से गहरा
सादिक से सफ़ेद
फूलों से सुन्दर
शबनम से नम
साँसों से गरम
सबसे जुदा
सबसे अलग
ऐसा मेरा यार है
ऐसा मेरा प्यार है
हाँ- हाँ
यही मेरा प्यार है !
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
12nd Aug., 1999, '52'
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