कहाँ गया वो भोलापन
कहाँ गयी वो सादगी
हो गया तू तो अब ज़िन्दगी से बेखबर
नहीं है तुझे तो अब अपनी खबर
किसी से तुझे प्यार हो गया
खो गए हो तुम अपने में
डूब गए हो तुम सपने में
बना ली है ख्वाबों की दुनिया
बना लिया है उसकी बातों का महल
किसी से तुझे प्यार हो गया
फूलों से करते हो बातें
बूंदों से करते हो प्यार
रहते हो अब तुम तन्हाईयों में
हो गए हो सारी दुनिया से "अजनबी"
और अपनों से अनजाने
किसी से तुझे प्यार हो गया
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
'66' 3rd Jan, 2000
really very interesting thought sir...........great....
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी और प्यारी रचना....
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