मेरे देश के वीर जवानों
फख्र है हमें तुम पर
नाज़ है हमें तुम पर
तुमने करके कुर्बान अपनी जान
बढाया है मेरे वतन का मान
पर इसे कभी होने न देना कम
गर हो गया ये कम तो
न रहेगा ये जहाँ न रहेंगे हम
लगाना है हमें गले जीत
नहीं लगाना हार
करना पड़े चाहे मुझे
मौत को जितना प्यार
बस मेरी तुमसे
यही है तमन्ना और
एक "अजनबी" की यही है आरज़ू!!
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
22nd July, 1999, '47'
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