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Thursday, August 04, 2011

नाज़ है हमें तुम पर

मेरे देश के वीर जवानों
फख्र है हमें तुम पर
नाज़ है हमें तुम पर

तुमने करके कुर्बान अपनी जान
बढाया है मेरे वतन का मान
पर इसे कभी होने देना कम
गर हो गया ये कम तो
रहेगा ये जहाँ रहेंगे हम

लगाना है हमें गले जीत
नहीं लगाना हार
करना पड़े चाहे मुझे
मौत को जितना प्यार

बस मेरी तुमसे
यही है तमन्ना और
एक "अजनबी" की यही है आरज़ू!!

- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"

22nd July, 1999, '47'

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