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Wednesday, June 15, 2011

इक नयी ज़िन्दगी

जा रही हो
मुझे छोड़कर
तुम्हें तुम्हारा सुहाग रखे खुश इतना
कर पाओ तुम उसे जितना
पर मुझे भूल जाना
हमेशा याद रखना - याद रखना

लेकिन इक दायरे के अन्दर
खुशियों से नाता जोड़ना
ग़मों से मुंह मोड़ना
अपने लिए - मेरे लिए

अपने उसके लिए
जो तुम्हारी ज़िन्दगी की
अगली किरण है

हाँ- हाँ
भूल के सारे गिले शिकवे
दिल से लगाना मेरी मुबारकबाद
शुरू करो
इक नयी ज़िन्दगी
अपने जीवन साथी के साथ

- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"

24th June, 1999, '41'

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