कभी पूछा है तुमने अपने दिल से
कैसे चाहा था तुमने मुझे
देखा था जब तूने मुझे
कैसा महसूस हुआ था तुझे
वो कहती हुयी कुछ आँखें
तमन्नाओं से भरा दिल
दिया था जब तूने मुझे
कैसा अहसास हुआ था तुझे
आँखों से की थी तुमने बातें
दिल से किया था इज़हार
याद आता है अब भी वो मंज़र मुझे
कभी पूछा है तुमने अपने दिल से
कैसे चाहा था तुमने मुझे
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
'60' 27th Dec.,1999
बहुत सुन्दर अभिवयक्ति....
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