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Saturday, August 20, 2011

कैसे चाहा था तुमने मुझे

कभी पूछा है तुमने अपने दिल से
कैसे चाहा था तुमने मुझे
देखा था जब तूने मुझे
कैसा महसूस हुआ था तुझे

वो कहती हुयी कुछ आँखें
तमन्नाओं से भरा दिल
दिया था जब तूने मुझे
कैसा अहसास हुआ था तुझे

आँखों से की थी तुमने बातें
दिल से किया था इज़हार
याद आता है अब भी वो मंज़र मुझे
कभी पूछा है तुमने अपने दिल से
कैसे चाहा था तुमने मुझे

- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"

'60' 27th Dec.,1999


1 comment:

  1. बहुत सुन्दर अभिवयक्ति....

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