हर पल सताती हैं
हर लम्हा रुलाती हैं
वो तेरी मीठी बातें
कभी नींदों से जगाती हैं
तो कभी बातों में हँसाती हैं
वो तेरी यादें - तेरी यादें
दिल में उठता है तूफ़ान
मन में होती है हलचल
जब ही याद आती है
तेरे संग गुजारी रातें
वो चाँद का चमकना
मेरा सर तेरी गोद में होना
अपने होठों से मेरे सर को
फिर तेरा वो चूमना
याद आती हैं जब ये यादें
भर जाती हैं तेरे प्यार से मेरी साँसें
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी'
'67' 16th Feb. 2000
kya bat hai shahid bhai kafi roamantik lag rhe ho
ReplyDeletesab purani likhawat hai... undino ki ...
ReplyDeleteप्यार से भरी सुन्दर रचना....
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