प्यार ही प्यार छलकता है उसकी बातों में
गजब का नशा है उसकी आँखों में
सोचता हूँ जब भी मैं तन्हा रातों में
नज़र आता है वो ही नशा अपनी आँखों में
जुस्तुजू है उसी की गुजरी मुलाकातों में
जो हर पल रहता है मेरी आँखों में
बस इक वही है मेरी दुआओं मेरी मिन्नतों में
जो ख्वाब बनकर सजा है मेरी आँखों में
हम भी देखेंगे उसका वो "अजनबी'
अरसे से बसा है जो उसकी आँखों में
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
'61' 5th Jan. 2000
प्यार ही प्यार छलकता है उसकी बातों में...और उतना ही प्यार छलकता है रचना से....
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