अपनी तक़दीर का शुक्रिया
अदा मैं कैसे करूँ
जिसने दिया है मुझे ऐसा
जिसे सामने बिठा के
मैं तो उसे आँखों से प्यार करूँ
अपनी गोद में बिठा के
तारों से जिसकी मांग भरूँ
दिल में तमन्ना है मेरी
जब भी देखूं मैं अपने
दिल के आईने में
सिर्फ उसी का दीदार करूँ
वही है निशा
वही है शबनम
वही है डाली
वही है फूल
आखिर कैसे मैं उसे
जी भर के प्यार करूँ॥
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
20th July, 1999, '48'
क्या बात है...
ReplyDeleteअपनी गोद में बिठा के
ReplyDeleteतारों से जिसकी मांग भरूँ
दिल में तमन्ना है मेरी
जब भी देखूं मैं अपने
दिल के आईने में
सिर्फ उसी का दीदार करूँ
waah !...quite romantic !
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