रात की मैंने तुम्हारे नाम
चैन किया मैंने तुम्हारे नाम
दिल था मेरा, तुम्हारे पास
पर, धड़कन थी मेरी पास
धड़कना तुमने सिखाया था
संभलना तुमने सिखाया था
फिर भी
नहीं समझा तुमने दर्दे मिलन को
देकर प्यार भरा दर्द
आँखों से नींद छीन ली
दिल से चैन छीन लिया
बस!
मैंने तो तेरा इंतजार किया।
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
19th Oct, 1999, '58'
वाह!मैंने तो तेरा इंतजार किया। बहुत ही सुन्दर रचना....
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