लो वादा किया मैंने
न रूठूंगा कभी तुमसे
मान भी जाओ मेरे यार
तुम्हीं तो हो मेरे प्यार
गर रूठूंगा मैं तुमसे
रूठ जायेंगे हम खुद से
छोडो ये गुस्सा बुस्सा
चेहरे पे लाओ हँसियाँ
आयें अपनी ज़िंदगी में खुशियाँ
चलें फिर बागों में
खो जाएँ प्यार की बातों में
डूब जाएँ चाहत में
लो पकड़े अपने ये कान
यार मेरे अब तो मान
लो वादा किया मैंने
न रूठूंगा कभी तुमसे।
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
'62' 9th June 2000
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