मैं उजड़ा चमन था
तुमने मेरी ज़िन्दगी में आके
बहारों का शमां बिखेर दिया
ग़मों का साया ओढ़ लिया
ऐसे नहीं होगा प्यार मेरे यार
फिर कैसे होगा प्यार मेरे यार
मैं भी नहीं समझता
तू भी नहीं जानती
मैं मरूँगा तेरे लिए
तू जियेगी मेरे लिए
ऐसे ही होगा प्यार मेरे यार
बस इतना है-
मेरी ज़िन्दगी ग़मों का सागर थी
तुमने मेरी ज़िन्दगी में आके
मुहब्बत का सागर बना दिया
मैं अपने से "अजनबी" था
तुमने मुझे सच्चे यार से मिला दिया।
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
'64' 7th June 2000
मेरी ज़िन्दगी ग़मों का सागर थी
ReplyDeleteतुमने मेरी ज़िन्दगी में आके
मुहब्बत का सागर बना दिया....सब कुछ तो कह दिया आपने....
कभी मोहब्बत लिखता हूँ,कभी मोहब्बत का दर्द लिखता हूँ..
Deleteकभी मोहब्बत की सरगर्मी,कभी मोहब्बत है सर्द लिखता हूँ..
जाने मैं कैसे मुफलिसी के दामन में उलझ गया हूँ..
की तुम्ही को दर्द की वजह,तुम्ही को हमदर्द लिखता हूँ...
©~नादान
२०११
कभी ग़मों का सागर है,कभी खुशियों की बस्ती है..
कभी लडखडाये,कभी संभले,ये ऐसी ही कश्ती है..
जो ये ना मिल पाए तो खुदा कहते हैं इसको सब..
जो ये मिल जाए तो लगता है चाहत कितनी सस्ती है...
©~नादान
२०११
क़त्ल करती है हमारा,तेरी हर अदा बड़ी कातिल है..
फिर भी तेरा यूँ इतराना तारीफ के काबिल है..
जब से हुई है मोहब्बत तुझसे दुनिया खूबसूरत लगती है..
और लगे भी क्यूँ ना आखिर इसमें तू जो शामिल है..
©~नादान
२०११
जो संभल कर चलना था तो इश्क न करते..
जो ज़माने से डरना था तो इश्क न करते..
बड़ी शिद्दत से होता है,ये यूँ ही नहीं होता..
जो जहां आबाद करना था तो इश्क न करते...
HAVE A VERY HAPPY N PROBLEM FREE LIFE SIR.......... N ALWAYS KEEP SMILING :-):-)... SIR.....
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