कब आओगी बहना मेरी
इंतज़ार करे है भैया तेरा
आप नहीं हैं यहाँ तो
भर गया है यहाँ सूनापन
कब होगा ये दूर
है ये कहना मुश्किल
मगर है ये तय कि
इक दिन
होगा दूर सूनापन, खुशियाँ लौटेंगी
कलियाँ खिलेंगी, फूल मुस्कुराएंगे
बस इंतज़ार है अब उस दिन का
जब आप मुझे भैया कह कर पुकारेंगी
और 'अजनबी' के क़रीब होंगी !!
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
16th, Aug., 1999, '56'
बहुत ही अच्छी रचना....
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