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Wednesday, August 17, 2011

कब आओगी बहना मेरी

कब आओगी बहना मेरी
इंतज़ार करे है भैया तेरा
आप नहीं हैं यहाँ तो
भर गया है यहाँ सूनापन
कब होगा ये दूर
है ये कहना मुश्किल
मगर है ये तय कि
इक दिन

होगा दूर सूनापन, खुशियाँ लौटेंगी
कलियाँ खिलेंगी, फूल मुस्कुराएंगे
बस इंतज़ार है अब उस दिन का
जब आप मुझे भैया कह कर पुकारेंगी
और 'अजनबी' के क़रीब होंगी !!

- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
16th, Aug., 1999, '56'


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