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Monday, June 28, 2010

बहलाओ तो जानें

गुल से मुहब्बत सब करते हैं, खार से दिल लगाओ तो जानें
रो- रो के ज़िन्दगी सब जीते हैं, हँस के दिल बहलाओ तो जानें

चुपचाप पानी में कश्ती हर कोई निकाल लेता है
तुम मौजों से लड़कर, साहिल पे आओ तो जानें

दोस्त को गले लगाने में कोई नहीं हिचकता यारो
तुम अपने दुश्मन से हाथ मिलाओ तो यारों

यारों के दरमियाँ हर कोई हँस के दिखा देता है
तुम तन्हाई में हँस के दिखलाओ तो जानें

- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"

'227' 1st Apr. 2005

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