प्यार करने वाले भी
होते हैं प्यार के दुश्मन
आज हमें मालूम हुआ
दर्द को क़रीब से देखा है जिसने
अहसासों का दामन थामा है जिसने
हो भी सकता है प्यार का दुश्मन
आज हमें मालूम हुआ
तड़पा है जो मुहब्बत में
रोई है जिसकी रूह मुहब्बत में
हो भी सकता है मुहब्बत का दुश्मन
आज हमें मालूम हुआ
इश्क़ की कश्ती में रहा नखुदा बनकर
दीवानों के लिए रहा मिसाल बनकर
हो भी सकता है इश्क़ का दुश्मन
आज हमें मालूम हुआ
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
20th June 2000, '91'
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