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Thursday, November 17, 2011

आज हमें मालूम हुआ

प्यार करने वाले भी
होते हैं प्यार के दुश्मन
आज हमें मालूम हुआ

दर्द को क़रीब से देखा है जिसने
अहसासों का दामन थामा है जिसने
हो भी सकता है प्यार का दुश्मन
आज हमें मालूम हुआ

तड़पा है जो मुहब्बत में
रोई है जिसकी रूह मुहब्बत में
हो भी सकता है मुहब्बत का दुश्मन
आज हमें मालूम हुआ

इश्क़ की कश्ती में रहा नखुदा बनकर
दीवानों के लिए रहा मिसाल बनकर
हो भी सकता है इश्क़ का दुश्मन
आज हमें मालूम हुआ

- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
20th June 2000, '91'

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