आ गया बहारों का मौसम
मेरे ग़म फिर भी नहीं गए
कि आ गया फिर जुदाई का मौसम
इज़हारे मुहब्बत हुआ ही था
दिल में तमन्नाएँ जगीं ही थीं
हुआ ही था ईजाद ख्वाबों का मौसम
कि आ गया फिर जुदाई का मौसम
दिल में तमन्नाएँ जगीं ही थीं
हुआ ही था ईजाद ख्वाबों का मौसम
कि आ गया फिर जुदाई का मौसम
मिले ही थे दो दिल
धड़कना अभी बाकी ही था
छाया ही था प्यार का मौसम
कि आ गया फिर जुदाई का मौसम
चोरी कि मुहब्बत को चाहा था छिपाना
बाकी था अभी उनका मेरे वादों को निभाना
छा गया ज़माने की दुस्वारी का मौसम
कि आ गया फिर जुदाई का मौसम
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
23rd Apr. 2000, '89'
बाकी था अभी उनका मेरे वादों को निभाना
छा गया ज़माने की दुस्वारी का मौसम
कि आ गया फिर जुदाई का मौसम
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
23rd Apr. 2000, '89'
हम वफ़ा से इस तरह कुछ बेवफ़ाई कर गए-
ReplyDeleteज़िंदगी बीमार जब होने लगी हम मर गए
छा गया ज़माने की दुस्वारी का मौसम
ReplyDeleteकि आ गया फिर जुदाई का मौसम
यही दुख की बात है :)