1. दूर मुझसे रहके तड़पाते हैं वो
पास जब हों उनके तो
क़रीब आने में इतराते हैं वो
अब क्या करूँ ऐसा मैं वो
कि बाँहों मेरी आ जाएँ वो
2. मैं बारहा गुजरता हूँ उनकी गली से
दिल में ये हसरत लिए
कभी तो होगा दीदार उनका
3. होती है जो शाम
तो आता है सवेरा
होता है सिर्फ
इक रात का फेरा
4. जो नहीं है नशा सौ बोतल का
वो तेरी आँखों में है
जो गुलाब को होठों से लगाने में नहीं
वो तेरे होठों को अपने होठों से लगाने में है
5. तुम कहती रहो
मैं सुनता रहूँ
तुम बैठी रहो
मैं देखता रहूँ
6. होगा बस मान ही मान
बन जाओगे तुम सबकी शान
ओ, अपने मामा की जान
कैसे हो प्यारे रिज़वान
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी"
24th May , 2000
पास जब हों उनके तो
क़रीब आने में इतराते हैं वो
अब क्या करूँ ऐसा मैं वो
कि बाँहों मेरी आ जाएँ वो
2. मैं बारहा गुजरता हूँ उनकी गली से
दिल में ये हसरत लिए
कभी तो होगा दीदार उनका
3. होती है जो शाम
तो आता है सवेरा
होता है सिर्फ
इक रात का फेरा
4. जो नहीं है नशा सौ बोतल का
वो तेरी आँखों में है
जो गुलाब को होठों से लगाने में नहीं
वो तेरे होठों को अपने होठों से लगाने में है
5. तुम कहती रहो
मैं सुनता रहूँ
तुम बैठी रहो
मैं देखता रहूँ
6. होगा बस मान ही मान
बन जाओगे तुम सबकी शान
ओ, अपने मामा की जान
कैसे हो प्यारे रिज़वान
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी"
24th May , 2000
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