शाम हंसी करने क लिए
सोचता हूँ मैं ख्याल तेरा
आते ही ख़याल तेरा
दूर हो जाते हैं दिन के ग़म
और आती है ख्सुहियाँ लिए
इक प्यारी रात
जिसमें होती है तू और मैं
और दो दिलों की धड़कन
चांदनी का आँगन होता है
सितारों का आँचल होता है
हवाओं का प्यार होता है
शबनम का इज़हार होता है
मैं होता हूँ और मेरा जाँनिसार होता है
ख्वाबों की है ये दुनिया
ख्वाबों के हैं ये महल
मैं होता हूँ और मेरा प्यार होता है
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
5th Nov. 1999, '84'
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