दो दिल बिछड़ रहे हैं यहाँ
किसी को ख़बर भी नहीं है
दो दिल मचल रहे हैं यहाँ
किसी को ख़बर भी नहीं है
मिले थे जब हम दोनों तो
होश था इस दुनिया को
जुदा हो रहे हैं आज हम तो
किसी को ख़बर भी नहीं है
मिलते थे जब हम तो
जलता था ये ज़माना
आज टूटा है मेरा फ़साना तो
किसी को ख़बर भी नहीं है
दो दिल तड़प रहे हैं यहाँ
किसी को ख़बर भी नहीं है
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
23rd Apr. 2000, '82'
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