Followers

Monday, August 13, 2012

उल्फत की राहों पे चाहा था चलना तो हमने

तेरी समझकर अपने दिल को समझा लिया मैंने
तेरे दिल को समझे बिना ही अपने दिल को समझा लिया मैंने

मेरे दिल के चमन में मुहब्बत के गुल खिले तो थे
मगर खिलने से पहले ही उनको मुरझा लिया मैंने

उल्फत की राहों पे चाहा था चलना तो हमने
मगर चलने से पहले ही क़दमों को हटा लिया मैंने

सोचा था तेरे दिल की दुनिया में इक आशियाँ बनायेंगे
अब तो तन्हाईयों में घर बसा लिया मैंने

मेरी मुहब्बत का अहसास हो या हो उनको "अजनबी"
मगर अपने दिल को अहसास करा लिया मैंने

- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
17th Jan. 2001, '131'

2 comments: