अश्कों की महफ़िल में, हम खो गए थे कहीं
जब होश आया तो, हम रो रहे थे वहीँ
यक़ीं है मुझे, तुमने भी देखा होगा हमें
देख कर मुझे, खो गए होगे तुम कहीं
दिल के कहने पर आँखें हो गयीं होंगी नम
लगा कर तस्वीर को मेरी, दिल से रो रहे होगे कहीं
महका दिया होगा मेरी यादों ने तुम्हें
दिल में आया होगा, उनसे जाकर मिलूँ कहीं
हाँ -हाँ मेरे भी दिल में इक पल को आया था
इस जहां से छिपा कर तुझे, आगोश में ले लूं कहीं
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
5th July. 1999, '125'
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