लाख कोशिश की मैंने
पयम्बर मयस्सर न हुआ
भेज रहा हूँ इन हवाओं के जरिये
मुबारकबाद आपको सालगिरह की
आये और आता ही रहे ये दिन
न रूठे कभी ये मुबारक दिन
छायें घटाएं हर सू खुशियों की
भीग जाएँ आप खुशियों से
आफताब के माफिक रोशन रहें आप
बहारों के दरमियाँ हर दम रहें आप
ज़िंदगी की रानाई को क़रीब से देखें
ताउम्र यूँ ही हंसती रहें आप
निकले हैं दिल से जो ये अल्फाज
छू जाएँ आपके दिल को ये अल्फाज
सालगिरह की खुशियों के साए में
नज़र है आपको मेरा ये प्यार
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
10th Aug. 2000, '123'
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