झुक जाए सारी दुनिया कोई ऐसा ताज दो
मुझे अपनी दुआओं से नवाज दो
कहते हैं बुजुर्गों की दुआ सुनता है रब
शायद सुन ले आपकी दुआ रब
रब से ऐसी ही इक दुआ मांग दो
मुझे अपनी दुआओं से नवाज दो
चल सकूं मैं तरीक राहों में
उठा सकूं तूफाँ को बांहों में
ऐसी ही रब को इक आवाज़ दो
मुझे अपनी दुआओं से नवाज दो
चढ़ूँ और बस चढ़ता ही रहूँ
गिरने का कहीं नाम न हो
सारे जहाँ को हम पर नाज़ हो
मुझे अपनी दुआओं से नवाज दो
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
7Aug. 2000, '119'
behtreen.......
ReplyDeletelikha to bahut achchha hai..magar maanga sab apne liye hai...
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