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Wednesday, August 01, 2012

मुझे अपनी दुआओं से नवाज दो

झुक जाए सारी दुनिया कोई ऐसा ताज दो
मुझे अपनी दुआओं से नवाज दो

कहते हैं बुजुर्गों की दुआ सुनता है रब
शायद सुन ले आपकी दुआ रब
रब से ऐसी ही इक दुआ मांग दो
मुझे अपनी दुआओं से नवाज दो

चल सकूं मैं तरीक राहों में
उठा सकूं तूफाँ को बांहों में
ऐसी ही रब को इक आवाज़ दो
मुझे अपनी दुआओं से नवाज दो

चढ़ूँ और बस चढ़ता ही रहूँ
गिरने का कहीं नाम हो
सारे जहाँ को हम पर नाज़ हो
मुझे अपनी दुआओं से नवाज दो

- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
7Aug. 2000, '119'

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