मिले और मिलते रहो
दोस्ती तुम्हारी रहे सलामत हमेशा
याद करे वो तुम्हें इतना
कि
न कर पाओ याद तुम उसे इतना
वक़्त पर करना याद
जब कभी महसूस हो कमी मेरी
तो देना आवाज़ अपने इस प्यारे यार को,
जो बैठा है इस वक़्त अकेला,
बिल्कुल अकेला
नहीं है कोई मेरे साथ
है अगर साथ तो यादें,
सिर्फ तेरी यादें।
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी'
'24' 9th May 1999
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