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Sunday, May 22, 2011

प्यार का अफसाना

तुमने मुझे अपना समझा
और मैंने तुम्हें अपना जाना
इस तरन बन गया प्यार का अफसाना
तुम देना मेरा साथ
जब तक है
हम दोनों का हाथों में हाथ

होना कभी तुम जुदा
करे कभी ऐसा खुदा
क्योंकि
मैंने तुमसे प्यार किया है
और तूने हमसे प्यार किया है
तूने मेरी लूट के खुशियाँ
दे दिए हैं मुझको ग़म

अब मेरे पास
ग़म हैं ज्यादा और खुशियाँ हैं कम
चलना तुम किसी और की राहों में
रहना हमेशा उसकी बाँहों में
जिससे तुमने प्यार किया है
अपना पहला इज़हार किया है
गर दिया साथ तुमने तो
ग़म होंगे मेरे दोस्त
दुश्मन होंगी मेरी सारी खुशियाँ

- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"

'30' 17th May, 1999

4 comments:

  1. गर न दिया साथ तुमने तो
    ग़म होंगे मेरे दोस्त
    दुश्मन होंगी मेरी सारी खुशियाँ।


    गहन बात कह दी ... यही होता है प्यार में

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  2. दुनिया से दुश्मनी का डर और प्यार की चाह नामुमकिन ....

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  3. ek rachna me do bhaav!!!! kya baat hai bhaai???

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