तुमने मुझे अपना समझा
और मैंने तुम्हें अपना जाना
इस तरन बन गया प्यार का अफसाना
तुम देना मेरा साथ
जब तक है
हम दोनों का हाथों में हाथ
न होना कभी तुम जुदा
न करे कभी ऐसा खुदा
क्योंकि
मैंने तुमसे प्यार किया है
और तूने हमसे प्यार किया है
तूने मेरी लूट के खुशियाँ
दे दिए हैं मुझको ग़म
अब मेरे पास
ग़म हैं ज्यादा और खुशियाँ हैं कम
न चलना तुम किसी और की राहों में
रहना हमेशा उसकी बाँहों में
जिससे तुमने प्यार किया है
अपना पहला इज़हार किया है
गर न दिया साथ तुमने तो
ग़म होंगे मेरे दोस्त
दुश्मन होंगी मेरी सारी खुशियाँ।
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
'30' 17th May, 1999
गर न दिया साथ तुमने तो
ReplyDeleteग़म होंगे मेरे दोस्त
दुश्मन होंगी मेरी सारी खुशियाँ।
गहन बात कह दी ... यही होता है प्यार में
दुनिया से दुश्मनी का डर और प्यार की चाह नामुमकिन ....
ReplyDeleteek rachna me do bhaav!!!! kya baat hai bhaai???
ReplyDeleteBahut khoob likhte hain Aap.
ReplyDelete............
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