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Thursday, May 19, 2011

इस प्यार को न तुम मरने देना

इस प्यार को तुम मरने देना
जो करना पड़े कर लेना
जो सहना पड़े सह लेना

अगर तू मेरी निशा है
तो मेरी सुबह भी तू ही है
गर ये प्यार रहा
तो समझूंगा मैं
ये जहाँ रहा

इस प्यार के लिए मैं
ज़िन्दगी लुटा सकता हूँ
अपने को मिटा सकता हूँ
मेरी ज़िन्दगी की सुबह

तुमसे यही है तमन्ना
यही है आरज़ू
कि
इस प्यार को तुम मरने देना ।


-
मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"

'29' 31st May, 1999

4 comments:

  1. वाह! बेहतरीन लिखा है...

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  2. प्यार कभी नहीं मरता, यह तो अमर है, शाहिद भाई ....

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