राह देख रहा हूँ मैं तेरी
न जाने कब से
बैठा हूँ आज चौखट पर
पलकें बिछाए हुए
दिल को समझाए हुए
कि
आज मेरा महबूब आने वाला है
न जाने कितनी बार आया हूँ
उस दरवाज़े पर
जहाँ से तुम्हारा दीदार करना है
दिल में बिठाना है
आँखों पे सजाना है
कभी गली देखता हूँ
कभी चौराहा देखता हूँ
लगता है मानो तुम आ रहे हो
इंतज़ार कि घड़ियाँ और
दिल की दूरियां दूर करो
बस
हर ग़म को आज
ख़ुशी में बदल दो
मैं सिर्फ इतना जानता हूँ
कि मैं तुम्हें चाहता हूँ
सारी दुनिया को बताना चाहता हूँ
कि
आज मेरा महबूब
मेरी ज़िन्दगी का मालिक
आने वाला है !!!!
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी'
'33' 24th May, 1999
बहुत खूब।
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हंसते रहो भाई, हंसाने वाला आ गया।
अब क्या दोगे प्यार की परिभाषा?
अभी इंतजार और इंतजार.......बहुत खूब
ReplyDelete@ भाई साहब ! आपने सारी दुनिया को तो बता दिया कि आज आपका महबूब आने वाला है लेकिन कल आप यह भी ज़रूर बताना कि आया भी था या नहीं ?
ReplyDeleteबाक़ी मज़ा आ गया।
आप भी हमारे ब्लॉग पर ज़रूर आएं।
http://commentsgarden.blogspot.com/2011/05/dr-anwer-jamal.html
वाह!! बहुत सही...
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