आजकल लगता नहीं है मेरा दिल आजकल
इन किताबों में
दुनिया के सारे नजारों में
अक्सर याद आती है उसी की
जो रहता है
हर पल ख्यालों में
बस गए हैं अब तो वो ही ख्वाबों में
कर दिया मुश्किल उसने तो
जीना इन दिनों में
दिन पहाड़ सा होता है और
रात कटती है आँखों में
कब मिलेंगे उससे जो
बैठा है पलकें बिछाए मेरे लिए
याद आ रही है उसकी तो
आज बातों- बातों में
अब तो न जाने कब होंगे
वो मेरी बाहों में
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
'26' 14th May, 1999
बढ़िया...शुभकामनाएँ...
ReplyDeleteदिल की आवाज को बेहद खुबसुरती से पिरोया है आपने। जारी रखीये। आभार।
ReplyDeleteMan ko chhu jane wale bhaav.
ReplyDelete............
तीन भूत और चार चुड़ैलें।!
14 सप्ताह का हो गया ब्लॉग समीक्षा कॉलम।