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Tuesday, May 10, 2011

रात कटती है आँखों में

आजकल लगता नहीं है मेरा दिल आजकल
इन किताबों में
दुनिया के सारे नजारों में
अक्सर याद आती है उसी की
जो रहता है
हर पल ख्यालों में

बस गए हैं अब तो वो ही ख्वाबों में
कर दिया मुश्किल उसने तो
जीना इन दिनों में
दिन पहाड़ सा होता है और
रात कटती है आँखों में

कब मिलेंगे उससे जो
बैठा है पलकें बिछाए मेरे लिए
याद रही है उसकी तो
आज बातों- बातों में
अब तो जाने कब होंगे
वो मेरी बाहों में


-
मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"

'26' 14th May, 1999

3 comments:

  1. बढ़िया...शुभकामनाएँ...

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  2. दिल की आवाज को बेहद खुबसुरती से पिरोया है आपने। जारी रखीये। आभार।

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