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Saturday, July 28, 2012

मुझको रुला रहा है- मुझको रुला रहा है

आँचल के साए में छुप- छुप के वो देखना तेरा
आँखें मिला के वो आँखें झुकाना तेरा
मुझको रुला रहा है- मुझको रुला रहा है

इशारों ही इशारों में वो बातें करना तेरा
पाकर आहट मेरी यहाँ वहां वो छिपना तेरा
मुझको रुला रहा है- मुझको रुला रहा है

बांतों ही बांतों में वो होठों में उंगली दबाना तेरा
इक तबस्सुम के संग वो मुझसे दूर जाना तेरा
मुझको रुला रहा है- मुझको रुला रहा है

मेरे इंतज़ार में शब-शब भर वो जागना तेरा
तन्हाईयों में मुझसे मिलने वो आना तेरा
मुझको रुला रहा है - मुझको रुला रहा है

चांदनी में मेरे संग वो वक़्त गुजारना तेरा
हाँ-हाँ और - में मेरे लवों को वो चूमना तेरा
मुझको रुला रहा है- मुझको रुला रहा है

- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
1st Aug. 2000, '115'

1 comment:

  1. बहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति........

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