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Thursday, July 12, 2012

जुस्तुजू है उस करीने की हमें

कैसे बताएं तुम्हें सनम
कितना चाहते हैं तुम्हें हम

लफ्जों को सजाऊँ मैं कैसे
हो अहसास मेरी चाहत का तुम्हें हमदम

जुस्तुजू है उस करीने की हमें
बता दे मेरी मुहब्बत तुमको सनम

- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
12nd July, 2000 '103'

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