बादलों की राह बूंदों तक जाती है
मेरी राह सिर्फ तुम तक जाती है
तेरे साथ रहूँ तो मेरे हर सू खुशियों की सौगात होती है
तुझसे जुदा होता हूँ तो मेरी जान निकल जाती है
हर दिन और हर रात ,मैं ग़म में रहता हूँ
मेरी हंसीं अब तेरे लवों से आती है
न आये कभी जुदाई बस मिलन ही मिलन हो
मेरे हमनवा मिलन से पहले जुदाई आती है
मेरी आँखों से पानी बहता है यूँ "अजनबी"
बरसात होती है कि बस होती ही जाती है
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
3rd Aug. 2000, '117'
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