Followers

Monday, July 30, 2012

मेरी हंसीं अब तेरे लवों से आती है

बादलों की राह बूंदों तक जाती है
मेरी राह सिर्फ तुम तक जाती है

तेरे साथ रहूँ तो मेरे हर सू खुशियों की सौगात होती है
तुझसे जुदा होता हूँ तो मेरी जान निकल जाती है

हर दिन और हर रात ,मैं ग़म में रहता हूँ
मेरी हंसीं अब तेरे लवों से आती है

आये कभी जुदाई बस मिलन ही मिलन हो
मेरे हमनवा मिलन से पहले जुदाई आती है

मेरी आँखों से पानी बहता है यूँ "अजनबी"
बरसात होती है कि बस होती ही जाती है

- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
3rd Aug. 2000, '117'

No comments:

Post a Comment