ऐसी भी रात आयेगी
जब हम उनका घूंघट उठाएंगे
शर्मायेंगे वो लाख बार
मगर मुस्करायेंगे ज़रूर एक बार
कितनी खुशकिस्मत होगी वो रात
होंगे जब हम उनके साथ
चाहेगी वो रूठ जाएँ एक बार
मगर मुस्कराएगी लाख बार
हर सू होंगी बहारें ही बहारें
दूर बहुत दूर होगी हमसे खिजां
आएगा हवा का इक ऐसा झोंका
छू जायेगा जो बार - बार
मिल जायेंगे प्यार के दो दीवाने
पास आयेंगे खुशियों के खजाने
छाये रहें खुशियों के बादल
होती रहे प्यार की बरसात बार-बार
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
31st July, 2000, '109'
जब हम उनका घूंघट उठाएंगे
शर्मायेंगे वो लाख बार
मगर मुस्करायेंगे ज़रूर एक बार
कितनी खुशकिस्मत होगी वो रात
होंगे जब हम उनके साथ
चाहेगी वो रूठ जाएँ एक बार
मगर मुस्कराएगी लाख बार
हर सू होंगी बहारें ही बहारें
दूर बहुत दूर होगी हमसे खिजां
आएगा हवा का इक ऐसा झोंका
छू जायेगा जो बार - बार
मिल जायेंगे प्यार के दो दीवाने
पास आयेंगे खुशियों के खजाने
छाये रहें खुशियों के बादल
होती रहे प्यार की बरसात बार-बार
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
31st July, 2000, '109'
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