इस दिल में है दर्द इतना
छुपाये से छुपता नहीं
लाख अश्कों को समेंटें हैं हम
मगर रोके से रुकते नहीं
भर गया है अब दर्द का प्याला
अब और उसमें दर्द समाता नहीं
आ जाओ, बस आ जाओ अब तुम
इंतज़ार के लिए अब और ये थमता नहीं
चाहत के दर्द में है अब "अजनबी"
जब तक की तुम नहीं - तुम नहीं
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी
'70' 11st Feb. 2000
इस दिल में है दर्द इतना
ReplyDeleteछुपाये से छुपता नहीं... sundar post...