कब होंगी दूर ग़म की घटायें
कब छटेंगे जुदाई के बादल
कब गिरेंगे फूल हम पर
कब झूमेंगी खुशियाँ तुम पर
बाँहों में होंगे तुम तुम्हारे
दिल में होंगे हम तुम्हारे
ऐसा भी शमन आएगा
बस इंतज़ार कराएगा
इंतज़ार करें और कब तक
पहुंचा दो पयाम ये उन तक
नहीं सही जाती अब ये जुदाई
नहीं सहा जाता अब ये दर्द
कह दो उनसे ऐ "अजनबी"
यही है मेरे प्यार का दर्द
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
'73' 12nd Apr. 2000
कब छटेंगे जुदाई के बादल
कब गिरेंगे फूल हम पर
कब झूमेंगी खुशियाँ तुम पर
बाँहों में होंगे तुम तुम्हारे
दिल में होंगे हम तुम्हारे
ऐसा भी शमन आएगा
बस इंतज़ार कराएगा
इंतज़ार करें और कब तक
पहुंचा दो पयाम ये उन तक
नहीं सही जाती अब ये जुदाई
नहीं सहा जाता अब ये दर्द
कह दो उनसे ऐ "अजनबी"
यही है मेरे प्यार का दर्द
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
'73' 12nd Apr. 2000
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