प्यार करके आदमी
चैने दिल के बदले
दर्दे दिल ले लेता है
याद जब आती है अपने यार की
अपने ही अश्कों में वो
उसका अक्स ढूँढ लेता है
जुस्तुजू में उसकी
चाँद पर पहुँचता है
ऐसे लम्हात को वो
अपने दिल में क़ैद कर लेता है
अक्सर तन्हाईयों में
कभी रोता है वो
कभी हँसता है
यादों से ही उसकी
अपने दिल को बहला लेता है
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
'71' 17th Feb. 2000
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