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Friday, September 02, 2011

अक्सर तन्हाईयों में

प्यार करके आदमी
चैने दिल के बदले
दर्दे दिल ले लेता है
याद जब आती है अपने यार की
अपने ही अश्कों में वो
उसका अक्स ढूँढ लेता है

जुस्तुजू में उसकी
चाँद पर पहुँचता है
ऐसे लम्हात को वो
अपने दिल में क़ैद कर लेता है

अक्सर तन्हाईयों में
कभी रोता है वो
कभी हँसता है
यादों से ही उसकी
अपने दिल को बहला लेता है

- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"

'71' 17th Feb. 2000

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