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Saturday, August 27, 2011

वो तेरी मीठी बातें

हर पल सताती हैं
हर लम्हा रुलाती हैं
वो तेरी मीठी बातें
कभी नींदों से जगाती हैं
तो कभी बातों में हँसाती हैं
वो तेरी यादें - तेरी यादें

दिल में उठता है तूफ़ान
मन में होती है हलचल
जब ही याद आती है
तेरे संग गुजारी रातें

वो चाँद का चमकना
मेरा सर तेरी गोद में होना
अपने होठों से मेरे सर को
फिर तेरा वो चूमना
याद आती हैं जब ये यादें
भर जाती हैं तेरे प्यार से मेरी साँसें

- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी'

'67' 16th Feb. 2000

3 comments:

  1. kya bat hai shahid bhai kafi roamantik lag rhe ho

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  2. sab purani likhawat hai... undino ki ...

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  3. प्यार से भरी सुन्दर रचना....

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