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Wednesday, August 03, 2011

तू ही मेरी सुबह है

आंसू भरे होठों की कलम से
लिख दे मेरे दिल पर
तू अपना नाम- अपना नाम
कह सकूँ ताकि मैं
इस दुनिया के सामने
नहीं हैं हमारे अब दो नाम
हो गए हैं अब दोनों इक नाम
क्योंकि

तू ही है मेरी सुबह और
तू ही है मेरी शाम
है अगर तो
तेरा ही ख्याल
याद है तो तेरा ही नाम
मेरे सनम
इक नहीं तुझे
कई -कई बार सलाम !

- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"

12nd July, 1999, '44'

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