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Saturday, August 20, 2011

आँखों को छू गए

निकले जो तुम्हारे अश्क
कह गए सारा दर्दे दिल
कुछ में चुभन थी
कुछ में था अपनापन
और कुछ दिल को छू गए

सुना जब तुम्हारा दर्दे दिल
भूल गया मैं तो अपना ग़म
फिर भी कुछ अश्क
आँखों को छू गए

लाख कोशिश की मैंने रोकने की
लेकिन
कल की खबर दे गए
होठों से छुआ जब मैंने उन्हें
अपने प्यार की कसम दे गए।

- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
'59' 17th Oct. 1999

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