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Friday, May 27, 2011

महबूब आने वाला है

राह देख रहा हूँ मैं तेरी
जाने कब से
बैठा हूँ आज चौखट पर
पलकें बिछाए हुए
दिल को समझाए हुए
कि

आज मेरा महबूब आने वाला है
जाने कितनी बार आया हूँ
उस दरवाज़े पर
जहाँ से तुम्हारा दीदार करना है
दिल में बिठाना है
आँखों पे सजाना है

कभी गली देखता हूँ
कभी चौराहा देखता हूँ
लगता है मानो तुम रहे हो

इंतज़ार कि घड़ियाँ और
दिल की दूरियां दूर करो
बस
हर ग़म को आज
ख़ुशी में बदल दो

मैं सिर्फ इतना जानता हूँ
कि मैं तुम्हें चाहता हूँ
सारी दुनिया को बताना चाहता हूँ
कि
आज मेरा महबूब
मेरी ज़िन्दगी का मालिक
आने वाला है !!!!

- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी'

'33' 24th May, 1999

4 comments:

  1. अभी इंतजार और इंतजार.......बहुत खूब

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  2. @ भाई साहब ! आपने सारी दुनिया को तो बता दिया कि आज आपका महबूब आने वाला है लेकिन कल आप यह भी ज़रूर बताना कि आया भी था या नहीं ?
    बाक़ी मज़ा आ गया।
    आप भी हमारे ब्लॉग पर ज़रूर आएं।
    http://commentsgarden.blogspot.com/2011/05/dr-anwer-jamal.html

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  3. वाह!! बहुत सही...

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