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Thursday, May 26, 2011

कैसे करूँ तारीफ तेरी

नहीं हैं मेरे पास वो शब्द
जो कर सकें तारीफ तेरी
कहाँ से लाऊं वो शब्द
जो कर सकें तारीफ तेरी
किसके रूबरू करूँ तुझे
नहीं रहा है समझ में मुझे

इस दुनिया में
नहीं है कुछ ऐसा
जिसे मान सकूँ कि
ये है तेरे जैसा
तुम हो सबसे जुदा सबसे अलग

मैं जो कहना चाहता हूँ
तुम वो सुनना चाहती हो
मैंने वो कह दिया
तूने भी सुन लिया
बस यही हैं वो शब्द
जो कर रहे हैं तारीफ तेरी
"अजनबी" सोच रहा है आज
कैसे करूँ तारीफ तेरी

- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"

'32' 1st June, 1999

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