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Tuesday, May 31, 2011

सच बताना

डर है कहीं पड़ जाये कम ये ज़िंदगी
तुमसे प्यार के लिए
तुमसे दिल की बातें कहने के लिए
तुम्हें बांहों में भरने के लिए
तुम्हें जी भर के देखने के लिए

तेरी मांग अपने प्यार से भरने के लिए
तेरे पल्लू में तारे टांकने के लिए
तुझे कंगन पहनाने के लिए
तुझे चाहने के लिए
क्योंकि

मैं तुम्हें प्यार करना चाहता हूँ इतना
किया हो किसी ने किसी को इतना
आज रब से दुआ मांग रहा हूँ
बस इतनी ज़िंदगी दे दे मुझे
जी भर के प्यार कर सकूँ तुझे

मेरे यादों के आईने में रहने वाले
क्या तुम भी चाहते हो इतना प्यार जताना
सच बताना- सच बताना - सच बताना

- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"

'36' 1st June, 1999

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