Followers

Wednesday, May 04, 2011

मजबूरियां

अभी- अभी महसूस किया है मेरे दिल ने
जैसे की आवाज़ दी है तुमने
कहा है तुमने
आजा , आजा, सनम आजा
मगर मेरे सामने हैं कुछ मजबूरियां

जिस वजह से
मुझमें और तुझमें हैं दूरियां
इंतजार है बस उस दिन का
जबकि
हटेंगी ये मजबूरियां
और कम होंगी ये दूरियां
तब
मैं तुझमें और
तू मुझमें समां जाएगी

- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"

'22' 9th May, 1999

No comments:

Post a Comment