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Thursday, December 16, 2010

ख़ुशी को ख़ुशी से

ख़ुशी को ख़ुशी से बिता भी पाए
लो ये ग़म के दिन गए
दिल से दिल की निकली थी कोई आरज़ू
और ये दिल के अरमां चले गए

जुल्फों को ठीक से बिखेरा भी था उनकी
ही दिल भर के देखा था उनको
वो तो मुझ पर बिजलियाँ गिरा के चले गए

राहे याद उनको वो कसमें, वो वादे
जो किये थे हमने उनसे खुले आसमाँ के नीचे
लाख रोका मैंने उनको पर उसने इक मानी
और मुझे इस तरह छोड़ कर चले गए

पर जाते - जाते दे गए इक तोहफा
बहाने के लिए अश्क और समझाने के लिए दिल
शायद उन्होंने मुझे समझा "अजनबी'
जो इस तरह जुदा होकर चले गए !!!!!!

- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"

'13' 7th March, 1999

3 comments:

  1. chaliye ab to ultimately khushiyaan aayin permanently..

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  2. खूबसूरत ....

    लाख रोका मैंने उनको पर उसने इक न मणि
    मणि को मानी कर लें ..

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