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Friday, December 10, 2010

प्रेम दिवस

मिलते हैं इस दिन 'वो"
कहते हैं वो इस दिन
जो कह सके कभी
i love you, i love you!

डरता है दिल करने से इकरार
सोचता है कहीं कर दे वो इंकार

ये खुशकिस्मत दिन
शायद मिलता है उसी को
जो दिल देता है किसी को
दिल दे देने के बाद, वो
दे देता है जाने क्या -क्या

उसमें अश्क़, बेबसी, सिसकना
होता है जरुर१

सोचना आन्हें भरना
और तन्हाई में चुपके से रोना
शायद बन जाती है इक आदत सि१

इस दिन को कहूँ मैं क्या
अच्छा ,बहुत अच्छा या बुरा?

इस आज़ाद ज़िन्दगी को बाँध लेता है
वो उस बंधन से
जिसे तो तोड़ सकती है आंधी
और उदा सकता है तूफ़ान

इस दिन तो हो जाते हैं
दो दिल इक
और धड़कन कह उठती है
i love you, i love you!

यही है वो day
जिसे कहते हैं valentine day!!!!

- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी'


'10' 13rd Feb. 1999

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