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Thursday, July 08, 2010

बेवफा

होना कभी तुम बेवफा
रहना हमेशा बावफा
करते हैं तुमसे ऐसी ही आशा
ज़िन्दगी में देना कभी तुम निराशा

तुम बिन ये जीवन
जीवन नहीं
बिन पानी के बरसात सा
रह जायेगा!
अगर तुम मिल सके
तो इस सफ़र का
शायद यहीं अंत हो जायेगा

गर दिया साथ तुमने
तो
ये ऑंखें बरस पड़ेंगी और
ये दिल कह उठेगा
बेवफा! बेवफा! बेवफा!

- मुहम्मद शाहिद मंसूरी"अजनबी"

16th Jan, 1999, '7'

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