न होना कभी तुम बेवफा
रहना हमेशा बावफा
करते हैं तुमसे ऐसी ही आशा
ज़िन्दगी में न देना कभी तुम निराशा
तुम बिन ये जीवन
जीवन नहीं
बिन पानी के बरसात सा
रह जायेगा!
अगर तुम न मिल सके
तो इस सफ़र का
शायद यहीं अंत हो जायेगा।
गर न दिया साथ तुमने
तो
ये ऑंखें बरस पड़ेंगी और
ये दिल कह उठेगा
बेवफा! बेवफा! ओ बेवफा!
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी"अजनबी"
16th Jan, 1999, '7'
खूबसूरत अभिव्यक्ति
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